Description
Mere Sapne Meri Soch – Tarkshil Lekh Sangrah
₹120.00
डा. राजा राम हंडिआया एक प्रमुख तर्कशील, लेखक तथा साहित्य प्रेमी हैं। उन्होने पंजाब को धरती पर जन्म ले कर, उच्च योग्यतायें प्राप्त की हैं तथा ढेर सारा पंजाबी, हिन्दी व अंग्रजी साहित्य पढ़ा है । 1982 में वह हरियाणा चले गये तथा 1984 में अध्यापन कार्य शुरू क्या । जल्दी ही उन्होने हरियाणा में तर्कशीलता का परचम लहराया जो अब तक शान से फहरा रहा है । लम्बे समय तक हरियाणा की तर्कशील संस्था के अध्यक्ष रहे हैं ।
उन्होने केवल पंजाब तथा हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे भारत मे घूम फिर कर तर्कशील तथा वैज्ञानिक विचारधारा का प्रचार प्रसार किया है । इस लम्बे अर्से के दौरान उन्हें अनेक खट्टे-मीठे तजुर्वे हासिल हुए हैं । राजाराम हंडिआया ने पहले भी तीन पुस्तकें (1) परमात्मा कब, कहां और कैसे? (2) कैसा गुरू कैसी मुक्ति? (3) लेकिन ये सच हैं, पंजाबी तथा हिन्दी भाषा में लिखी हैं । यह उनकी चौथी पुस्तक है जो समाज की कुरीतियों तथा अंधविश्वासों पर चोट करते हुए एक नई जीवन-जाच सिखाती है । उम्मीद है कि पाठकगण इस पुस्तक को भी पहली पुस्तकों की भान्ति पसंद करेंगे।
– मेघराज मित्र, संस्थापक : तर्कशील सोसायटी
Tarksheel Lekh
रु 120
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